धन के उपयोग

 की तीन गति होती है- दान भोग और नाश। इसमें से सबसे उत्तम गति दान की है। धन का दान, धन द्वारा अन्य वस्तु, दवाई, वस्त्र आदि का दान अच्छा माना जाता है। दूसरी गति भोग है।

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