रिटायरमेंट के बाद
पूरी ज़िंदगी भाग दौड़ में बिता देते है, इस उम्मीद में की रिटायरमेंट के बाद सुकून से बिताऊँगा और रिश्तों की नाउम्मीदी, शारीरिक बीमारियां जीने की इच्छा खत्म कर देती है।
जब ज़िन्दगी जीने का वक़्त आता है तो जीना छोड़ देतें है।
हमें उन खुशियों को अपने जीवन में फ़िर से लाना होगा।
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