यादों का सफर

वक्त गुजरता जाता है और जिंदगी के भाग दौर में हम आगे बढ़ते जाते हैं वक्त बीतता जाता है और उस बीते वक्त के साथ हमारे साथ घटित बहुत सारी घटनाएं हमारे मनुस्मृति में जमा होती जाती हैं, हमारी यादों का हिस्सा बनती जाती हैं और ऐसे ही शुरु होता है यादों का सफर जिसमें जुड़ी होती हैं कुछ अच्छी यादें और कुछ बुरी यादें भी ।यह सफर कब और कैसे तय हो जाता है हमें पता नहीं चलता कुछ वक्त तो बहुत ही जल्दी बीत जाता है कुछ वक्त बहुत देर से बीतता है, कुछ वक्त ऐसा होता है कि हम चाहते हैं कि यह ठहर जाए ना बीते लेकिन वक्त तो वक्त है वह तो चला ही जाता है और यादों के सफर में हम एक कदम और बढ़ जाते हैं कल तक उंगली पकड़ के चलने वाला बच्चा वह आज कितना बड़ा हो गया । कहां-कहां घूमा किन-किन लोगों के साथ में अच्छी यादें बिताई अच्छा वक्त बिताया कुछ खट्टी कुछ मीठी कुछ चटपटी कुछ ठहाके भरी, कुछ आंसुओं में लिपटी यादों का सफर,  वह चांदनी रातें उजाले की ठिठुरन आम का बगीचा जामुन के पेड़ लीची की मिठास बालूशाही बताशा खाजा हर-हर का एक अपना ही स्वाद था वह नानी की कहानियां वह लोरियां वह शादी वह बच्चे और नई नई नौकरी की भागदौड़ । किसी के होने से यह सफर सुहावना हो जाता है अकेले या सफर  बेमायना हो जाता है।

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