Skip to main content

Posts

Featured

अकेलापन

कुछ हमें भूल गए, कुछ को हमने भुला दिया, परिणाम यह निकला कि हम अकेले हो गए। अब रातें चुपचाप कटती हैं, और दिन भी सूने से लगते हैं। जिन महफिलों में रौनक थी कभी, आज वहाँ बस सन्नाटा मिलता है। ये तन्हाई अब साथी है हमारी, और खामोशी पहचान बन गई है। कभी सोचा न था ऐसा भी होगा, कि अपनी दुनिया ही बेजान हो जाएगी। शिकवा किससे करें, शिकायत क्या हो, ये तो अपनी ही बुनी हुई दुनिया है। रिश्तों के धागे जब टूट गए, तो बिखरना लाजमी था। उन राहों पर अब चलते नहीं हम, जहाँ कभी थे काफिले हमारे। बस यादों की धूल उड़ती है अब, और दिल में गहरे निशान रह गए। मगर ये भी सच है कि इंसान अकेला जी नहीं सकता, ज़रूरी है कि वो सामाजिक बने, अपनों से जुड़कर रहे। ये दिल जो सूना पड़ा है, उसे कोई आसरा चाहिए, क्योंकि रिश्तों की गर्माहट से ही जीवन में रंग भरते हैं।

Latest posts

मंदिर : आस्था का प्रतीक

मन के घाव

"जिन ढूंढ़्या तिन पायें, गहरे पानी पैठ

नेगेटिव सोच से कैसे बचे

अनमोल रिश्ते

Time Changes

अपना भाग्य बदले

उतार चढ़ाव

Priority

दिल का सुकुन्