दिल का सुकुन्

खुद से बातें करना यह सुनकर बड़ा अजीब लगता है लेकिन हम अकेले तभी हो जाते हैं जब हम खुद से बातें करना छोड़ देते हैं हर दिन हम तरह-तरह लोगों से मिलते हैं तरह-तरह के भावनाओं से जुड़ते हैं कुछ अच्छे अनुभव और कुछ बुरे अनुभव से तार तार होते हैं कुछ ऐसे अनुभव जो हमें अंदर तक झकझोर देते हैं सुकून का एक कोना हमें तभी मिलता है जब हम थोड़ा वक्त निकाल कर खुद से बात करते हैं खुद को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर हमें चाहिए क्या हमें क्या पसंद है। हमारे जीवन के क्या मकसद हैं? वरना यह जिंदगी यूं ही फिजूल गुजर जाएगी मकसद ही इसका सही तरह से उपयोग करने के लिए हमें यह समझना पड़ेगा कि हमारे अंदर किस तरह का भाव है । 

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